Tuesday, April 26, 2016

Grasshoppers of विदर्भ and बुंदेलखंड

William Somerset Maugham  का नाम शायद आपने सुना होगा । अंग्रेजी भाषा के मूर्धन्य नाटक कार , कहानीकार और उपन्यास कार हुए हैं । उनको अंग्रेजी साहित्य जगत में Maugham के नाम से जाना गया जिसका उच्चारण " मॉम " किया जाता है ।
Maugham को मानवीय संबंधों का मास्टर कहा गया । उनके लिखे उपन्यास इतने लोकप्रिय हुए कि आज अंग्रेजी साहित्य में यदि आपने Maugham को नहीं पढ़ा तो यूँ समझ लीजे कि आपने कुछ नहीं पढ़ा । 1915 में लिखा गया उनका महान उपन्यास Of Human Bondage एक अनुपम कृति है । इस उपन्यास की लोकप्रियता का ये आलम है कि  1915 में publish हुआ और उसके बाद आज तक out of print होना तो दूर दुनिया की हर अच्छी bookshop हमेशा उपलब्ध रहता है ।
इसके अलावा Maugham की short stories भी उतनी ही लोकप्रिय हैं ।
बचपन में मैंने उनकी एक कहानी पढ़ी थी ........ Ant and the Grasshopper ........ कहानी में सन्देश यूँ है कि गर्मी भर चींटी दिन रात मेहनत कर अनाज एकत्र करती रही । सर्दी की लंबी रातों में मौज करने के लिए । Grasshopper ठिठुरता हुआ पहुंचा , कुछ खाने को दे दो , भूख लगी है ......... Ant ने पूछा , गर्मियों में क्या कर रहे थे ??????
तब मैं गाना गा रहा था ......... I was singing ........
तब ऐसा करो , जाओ नाचो ........ now , go and dance ..........

आजकल देस भर के समाचारों में सिर्फ एक ही बात की चर्चा है । देश के बड़े हिस्से में पीने का पानी नहीं है । लोग पलायन कर रहे हैं ........ मवेशी प्यासे मर रहे हैं ....... लातूर तक पानी train से पहुंचाया जा रहा है ..........
मैं पंजाब में रहता हूँ । अक्सर अखबारों में चर्चा होती है । पंजाब का भूजल स्तर तेज़ी से नीचे जा रहा है । पर पिछले 10 साल में मैंने यहां के समाज और सरकार को एक भी काम ऐसा करते नहीं देखा कि जिस से जल संरक्षण हो । Narega Manrega पंजाब में फेल हो गयी । पंजाब कहता है कि हमारे पास 160 रु में गड्ढे खोदने वाले लोग नहीं हैं । पंजाबी समुदाय लाखों की संख्या में एकत्र हो स्वर्ण मंदिर के पवित्र सरोवर की कार सेवा तो कर सकता है , सुल्तानपुर लोधी की पवित्र बेई नदी जो एक गंदे नाले में तब्दील हो गयी थी , उसकी कारसेवा कर , उसका जीर्णोद्धार तो कर सकता है , पर मैंने आज तक किसी गाँव में किसी पंजाबी को गाँव के मरते हुए तालाब की कारसेवा करते नहीं देखा ।
लुधियाना में जब मैं अपने बच्चों के साथ आलमगीर अखाड़े में रहता था , तो सब्जी राशन लेने बगल के गाँव गिल जिसे गिल्लां भी कहते हैं , वहाँ जाते थे । ये मशहूर पुलिस अफसर KPS Gill का गाँव है । उस गाँव में एक बहुत बड़ा तालाब है गाँव समाज की संपत्ति है । वो तालाब मर चुका है । जलकुम्भी से पटा हुआ है । आज तक किसी ने उसकी सुध नहीं ली । न समाज ने न सरकार ने । पंजाब के हर गाँव में बहुत बड़े बड़े , भव्य गुरुद्वारे बने हुए हैं जिनकी चकाचौंध देख आँखें चुंधिया जाती हैं । इनमे संगे मर्मर सीधे Italy से import करके लगाया जाता है । ऐसे भी गाँव हैं जहां एक नहीं 4 गुरुद्वारे हैं । हर गुरुद्वारे की प्रबंध समिति में दो गुट हैं जो उसकी गुल्लक पे कब्जा करने के लिए लड़ रहे हैं । दान पात्र में लाखों नहीं करोड़ों रूपये और सोना चांदी हीरे जवाहरात भरे हुए हैं ......... पर गाँव के तालाब सूखे पड़े हैं , मर रहे हैं ।
भूजल के निर्मम दोहन के कारण जलस्तर तेज़ी से नीचे भाग रहा है । पर मैंने आज तक पंजाब की सरकार को Rain water Harvesting की दिशा में कोई कदम उठाते कभी नहीं देखा । पंजाब के गाँवों की सम्पन्नता देख आप हक्के बक्के रह जाएंगे । ऐसे ऐसे मकान हैं हर गाँव में । लाखों नहीं करोड़ों खर्च कर बनाये गए महल ...... परंतु आज भी पंजाब के किसी शहर या गाँव में Rain water Harvesting अनिवार्य नहीं । पंजाबी समाज अपने गिरते भूजल के लिए कुछ नहीं कर रहा । कल को यही समाज रोयेगा और हम इनके लिए पानी की रेल चलाएंगे , जैसे बुंदेलखंड आज रो रहा है , या विदर्भ रो रहा है .........
मोदी ने 12 वर्ष के अपने कार्यकाल में 6.5 लाख छोटे बड़े check dams बनवा डाले जिनसे न सिर्फ भूजल स्तर सुधरा बल्कि पेय जल और कृषि की समस्या भी हल हुई ......... विदर्भ और बुंदेलखंड ने अपनी पेय जल और सिचाई की समस्या को हल करने के लिए क्या किया भगवान् जाने ........ मैंने बुंदेलखंड में 3 साल नौकरी की है और बहुत दूर दूर तक remote areas में घूमा हूँ । वहाँ की भौगोलिक स्थिति ठीक वही है जो गुजरात की है । वहाँ भी लाखों छोटे छोटे check dams बनाये जा सकते हैं । वहाँ की सरकार और समाज क्यों नहीं बनाती , भगवान् जाने । समाज अपने लिए कुँए , बावड़ियां , तालाब क्यों नहीं खोद रहा ,  भगवान् जाने ........... विदर्भ ने अपनी पानी की समस्या के लिए का उपाय किया , भगवान् जाने ।

भारतीय समाज अपनी समस्याओं के प्रति Grasshopper वाला रुख अपनाये हुए है । जब कि उसे फावड़ा कुदाल उठा के काम करना चाहिए , वो नाच गाने में व्यस्त है ।

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