Wednesday, July 31, 2013

गुलाम अली साहब के साथ…....... 6 घंटे

                                                               कोई साल भर पहले की बात है। दिल्ली से जालंधर आ रहा था।   सुबह 11 बजे पश्चिम एक्सप्रेस पकड़ी।  स्थानीय रेल यात्राओं के  लिए अपना नियम है।  गाड़ी में घुसते  ही सीट लो और सो जाओ। और जब कभी बाहर  जाओ , किसी नए इलाके  में , तो दिन में यात्रा करो और ट्रेन की खिड़की से भारत दर्शन करो। बहरहाल  उस दिन गाडी चली तो अपन ऊपर वाली बर्थ पे  पसर गए , पर उस दिन किस्मत में कुछ और ही लिखा था।  बगल वाली सीट पे , वो जो बिलकुल सटी हुई पर फट्टे के उस तरफ होती है , उस पे एक सरदार जी लेटे हुए थे। उन्होंने अपने मोबाइल पे संगीत सुनना शुरू कर दिया।  यूँ मैं यात्रा में किसी  को अपने इर्द गिर्द गाने नहीं सुनने देता। तुरंत झिड़क देता हूँ।  हे इअर फोन लगाओ…वर्ना बंद करो ……अब इसमें कई बार गाजीपुर वाली गुंडई और हरियाणे वाली पहलवानी दिखानी पड़ जाती है ……

                                                          पर उस दिन माजरा कुछ और था। सरदार जी ने अपनी तो जैसे दुखती रग पे हाथ रख दिया। लगे ग़ुलाम अली की गजलें सुनने। और यूँ लगा जैसे समय की सुई मानो तीस साल पीछे चली गयी।  ज़िदगी मानो फ़्लैश बैक में चलने लगी …………गुलाम अली ……… जवानी उनकी सोहबत में गुजारी है। ………… दिन रात का साथ रहा करता था। ……… दिन में 18-18 घंटे सुना करते थे। ……… वाह। क्या दीवानगी थी ……क्या आलम था ……. 84 में उनसे परिचय हुआ।  हालांकि 82 में उनकी ग़ज़ल चुपके चुपके……. बहुत मशहूर हो चुकी थी , पर तब  तक अपने पास टेप रिकॉर्डर जैसा कुछ नहीं होता था। …… फिर 84 में अम्बाला में उनकी कैसेट सुनने को मिली। ……. और पहली बार में ही इश्क हो गया।  और एक बार जो परवान चढ़ा तो कई साल सिर पे चढ़ के बोला। वाह क्या ज़माना था …… उन दिनों हर महीने कोई न कोई नई कैसेट आती थी गुलाम अली साहब की। ………. और सिलसिला शुरू हुआ उनकी कैसेट खरीदने और सहेजने का। …… जब भी कोई नयी कैसेट आती , तुरंत ले के आते , फिर दिन रात उसे सुनते ……. 15 दिन में उसे सुन सुन के घिस डालते…फ़िर कोई नयी आयी है क्या ? शौकीनों की कमी नहीं थी …एक से एक दीवाने थे …… भाई लोगों के पास सौ सौ कैसेट का कलेक्शन होता था.  उनसे रिकॉर्डिंग करवा लेनी……. आपस में शेयर करना…… फिर एक समय आया जब नया माल मिलना बंद हो गया।  नई कैसेट भी कोई रोज़ाना थोड़े ही आती है। ………. पर अपना हाल तो नशेड़ियों वाला हो गया था। ……. फिर एक मित्र से पता चला की दिल्ली में जामा मस्जिद के सामने एक मीना बाज़ार है। ….उसमें हैं कुछ दूकान दार , उनके पास है बहुत बढ़िया कलेक्शन…… वहाँ पहुंचे……एक मियाँ जी बैठे थे …ये लम्बी दाढी थी ….उनके पास वाकई नायाब कलेक्शन था। ……… गुलाम अली और मेहदी हस्सन साहब की वो तमाम गजलें जो पकिस्तान में तो रिलीज़ हुई थीं पर हिन्दुस्तान में नहीं आयी थीं।  पर मियाँ जी का रेट बहुत टाइट था। ….एक ग़ज़ल के दस रु मांगते थे जो उन दिनों अच्छी खासी रकम थी ……मैं अपने साथ हमेशा SONY की ओरिजिनल blank कैसेट रखता था।  सो उस दिन 15  - 20 नई गजलें रिकॉर्ड कराई। फिर धीरे धीरे मीना बाज़ार का खजाना भी चुक गया।  फिर पता लगा दिल्ली में जनपथ पे Aadarsh stores का ……ये एक म्यूजिक स्टोर था जिनके पास बढ़िया कलेक्शन होता था। …… एक दिन मैं उनके यहाँ डुबकियां लगा रहा था ……काउंटर के नीचे एक अलमारी में रखी होती थी कैसेट ……. वो लड़का मुझे एक एक दराज़ निकाल के दिखाता जाता था.……फ़िर उसमे निकला एक खज़ाना … pirated पाकिस्तानी कैसेट्स का ……उन दिनों गुलाम अली साहब अक्सर हिन्दुस्तान आया करते थे …. पहली बार उन्हें रु ब रू सुना , दिल्ली के प्रगति मैदान के फलकनुमा open air theatre में …… ट्रेड फेयर के मेले में उन्हें भारत सरकार ने आमंत्रित किया था ………फिर उसके बाद एक बार वो खेल गाँव में आये थे ………. मैं और मेरे अभिन्न मित्र देवेन कालरा जी हम दोनों गए थे सुनने।  इंटरवल हुआ तो ग्रीन रूम में जा पहुंचे।  उस दिन जीवन में पहली बार उनसे हाथ मिलाया था।  वो स्पर्श आज तक याद है।  ऑटोग्राफ लिया था जो देवेन ने आज तक सम्हाल के रखा हुआ है।

                                                       गुलाम अली साहब की गजलों की दीवानगी के वजह से नित नयी दोस्तियाँ होती थीं।  लोग बाग़ एक दुसरे से कैसेट्स शेयर करते थे।  सालों चलता रहा ये सिलसिला।  फिर जैसा की ज़िन्दगी का दस्तूर होता है , वो आगे निकल जाती है।  कुछ लोग ज़िन्दगी में पीछे छूट जाते हैं।  धीरे धीरे गुलाम अली साहब  भी पीछे छूट गए।  सुगम संगीत का शौक develop होता हुआ विशुद्ध शास्त्रीय संगीत तक जा पहुंचा और नए खुदा मिल गए।  पंडित राजन साजन मिश्र , पंडित जसराज और भीम सेन जोशी सुनने लगे ………. बहुत सालों तक गुलाम अली और मेहदी हसन साहब की कैसेट घर में धूल फांकती रहीं। ………फिर एक मित्र मिले जिन्हें नया शौक हुआ था संगीत का सो एक दिन उन्हें वो सारी कैसेट्स दे दीं।  पर कुछ भी हो , जवानी का इश्क भुलाए नहीं भूलता ………… एक किस्सा याद आता है। ….दिल्ली में  अपनी बहन के घर बैठे थे ………खुशनुमा माहौल था …………. TV देख रहे थे।  तभी एक कार्यक्रम में गुलाम अली साहब की सिर्फ एक लाइन सुनी……और उनकी आवाज़ में जो खनक थी ………सीधे रूह तक पहुँचती थी………. और हम लोग उठ खड़े हुए………. टीवी बंद किया , दूसरे कमरे में म्यूजिक सिस्टम पड़ा था………. और ढेरों कैसेट्स थी …… देर रात तक सुनते रहे……

                                                  फिर सालों बाद , उस दिन पश्चिम एक्सप्रेस में वो सरदार जी बजाते रहे और मैं सुनता रहा।  एक एक कर वो सारी गजलें सामने से  गुजरने लगीं ………… मुझे ताज्जुब हुआ , इतने सालों बाद भी ,  एक एक beat याद थी मुझे , यूँ लगा मानो कल ही की तो बात थी ………… और हर ग़ज़ल के साथ वो तमाम वाकयात जो उनसे जुड़े हुए थे , याद आने लगे ………… ये जो है हुक्म मेरे पास न आये कोई ……… इसलिए रूठ रहे हैं की मनाये कोई …………  सहर होने तक …… ये नाम था एल्बम का ……. भिवानी में देवेन कालरा के घर सुनते थे………… शिद्दते गर्मिए अहसास से ढल जाउंगा …… पटिआला में मेरी नयी नयी शादी हुई थी , और वो लाल वाला टेप रिकॉर्डर था। ….उस पे  सुनते थे सारी सारी रात……कल चौदवीं की रात थी , शब् भर रहा चर्चा तेरा ……अम्बाला में मुन्ना भाई के घर सुनी थी पहली बार …………. दिल्ली से जालंधर तक का 6 घंटे का सफ़र , कब बीत गया , पता ही न लगा।  जालंधर उतरा तो सरदार जी को धीरे से कहा , धन्यवाद……वो confuse हो गए ……….  इस बेहतरीन म्यूजिक के लिए……








Tuesday, July 30, 2013

कांग्रेस का हाथ ...... आम आदमी की जेब में

                                         जैसा की सब जानते ही हैं की अपनी कांग्रेस पार्टी का हाथ आम आदमी के साथ है।  आम आदमी बेचारा कल तक ट्रेन की जनरल बोगी में लटक के यात्रा करता था।  फिर समय के साथ हम लोग भी " रेजुबेसन " करा के चलने लगे।  अब 121 करोड़ की भीड़ में मिलता कहाँ है रेजुबेसन।  अब ऐसे में यात्रा करें तो कैसे करें।  यूँ सरकार है तो आम आदमी की पर 24 डब्बे की गाड़ी में बमुश्किल दो या चार डब्बे होते हैं हमारे लिए।  बाकी 10 -12  स्लीपर और 4 -6 AC . ऐसे में बेचारा आम आदमी स्लीपर में घुसता है।  अब देखिये रेलवे की लूट।  स्लीपर का टिकेट विंडो से नहीं मिलता।  क्यों ?  पता नहीं।  बुकिंग ऑफिस के अन्दर बाकायदा कर्मचारियों के लिए निर्देश लिखा होता है। स्लीपर  का टिकेट हरगिज़ न दिया जाए।  अब आप मजबूरन जनरल का टिकेट ले कर स्लीपर में घुसे , तो दीजिये 250 रु पनेल्टी और लगभग  150 डिफरेंस। यानि जो यात्रा 250 -300 में निपट सकती थी उसके 500  -600 .   फिर स्लीपर में ज़मीन पे बैठ के वो भी शौचालय के सामने , यात्रा कीजिये।
                                                             भाई लोगों ने इसका हल निकाला।  रेजुबेसन कराओ , चाहे वेटिंग ही क्यों ना मिले।  अब आपके पास वेटिंग का टिकेट है।  अब आप कम से कम पनेल्टी से तो बच गए।  अब आगे सुनिए।  अगर गाडी  में 10 डब्बे स्लीपर के हैं तो 720 यात्री उनमे कायदन यात्रा करेंगे।  पर रेलवे लगभग 350 से 500 तक स्लीपर के वेटिंग टिकेट बनाती है।  वो सब भी स्लीपर में घुस के यात्रा करते हैं और स्लीपर क्लास के bonafide यात्री भी स्लीपर में जनरल का मज़ा लेते हैं।

                                            इतने से भी रेलवे का पेट नहीं भरता।  उसने हर स्टेशन पे स्टाफ छोड़ रखा है।  जो स्टेशन पे और ट्रेन में घूम के लोगों से कहता है………. वेटिंग बनवा लो। अर्थात 250 रु पनेल्टी और 150 डिफरेंस दे के स्लीपर में ज़मीन पे बैठ के यात्रा करो। जो यात्रा जनरल में 200 रु में होती  है वही यात्रा स्लीपर में ज़मीन पे बैठ के 800 रु में करो।

                                            अब ये देखिये की ये सब शुरू कब और कैसे हुआ।  NDA की सरकार में जब नितीश बाबु और ममता बेन रेल मंत्री थे तो इनका दृढ संकल्प था की यात्री भाड़ा नहीं बढ़ाना है।  अब अगर भाड़ा  नहीं बढेगा तो रेल चलेगी कैसे।  सो नितीश बाबू ने मंत्रालय को आय के वैकल्पिक स्त्रोत खोजने को कहा।  वहाँ अफसरों ने ये पनेल्टी को 50 रु से बढ़ा के 250 करने का प्रस्ताव किया। पर  निकू और ममता ने इसे लागू नहीं किया।  जब UPA 1 में लालू जी रेल मंत्री बने तो उन्होंने इस योजना को अमली जामा पहनाया।  यूँ लालू जी गरीबों के मसीहा हैं।  रेल में यात्री भी  ज़्यादा बिहार से ही होते हैं।   लिहाजा सबसे ज़्यादा शोषण भी बिहारियों का ही होता है।  इस प्रकार बिना भाड़ा बढाए लालू जी ने रेल की आमदनी बढ़ा ली ।आम आदमी को लूट के। ….ज़रा  सोचिये क्या ये लोग राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में ऐसा होने देंगे।  की 72 सीट के डब्बे में उनके साथ 100 यात्री ज़मीन पे बैठ के यात्रा करे।  सोनिया जी …………. गरीब आदमी की जेब काट के , हो रहा भारत निर्माण……….

                                         














Saturday, July 27, 2013

इंडिया वालों ……. तैयार हो जाओ

                                                         80 के पूर्वार्द्ध में हमारे गाँव में महिलाएं शैम्पू नहीं जानती थीं . कपडा धोने के लिए एक नया प्रोडक्ट आ गया था जिसे मेरी भाभी सोड्डा बोलती थी …दरसल वो निरमा था ……. मोटर साईकिल  सिर्फ उन लोगों के पास होती थी जिन्हें दहेज़ में मिलती थी . मेरे गाँव में बिजली सन 65 में आयी थी …ज़िस साल मेरा जनम हुआ …… तब सुनते हैं रोजाना 6 घंटे आती थी . आजकल भी 6 घंटे ही आती है . मेरे घर के सामने एक कच्ची सड़क हुआ करती थी जो धीरे धीरे ईंट का खडंजा होते हुए पक्की हो गयी …… बाकि मेरा गाँव अर्थात UP वही है जो 75 -80 में हुआ करता था .उस दिन मुलयमा टीवी पे पूछ रहा था किया क्या है मोदी ने . मैं बताता हूँ क्या किया है . मेरे घर में बीस लीटर दूध होता है .सुबह  का दस लीटर एक दूधिया ले जाता है 17 रु लीटर और बनारस में बेचता है 35 रु लीटर . शाम के दूध का कोई ग्राहक नहीं . अब क्या करें उसका . उसे यूँ ही लटका देते हैं आँगन में . सुबह तक फट जाता है . सुबह उस फटे दूध का खोया बना लेते हैं जो औने पौने दाम बिक जाता है ……मोदी के गुजरात में गाँव में 24 घंटे लाइट आती है .वहाँ का किसान  इस दूध को फ्रीज़र में रखेगा . वैसे वहाँ सुबह शाम कोआपरेटिव डेरी की गाडी आती है हर गाँव में और FAT % के हिसाब से पैसा देती है . हमारे UP में न बिजली आयी आज तक न डेरी के गाडी ……ये फर्क है मोदी और मुलायम में .
                                                        इस बीच सुना है की इंडिया काफी तरक्की कर गया है . उस दिन टीवी पे एक विज्ञापन आ रहा था तनिष्क का . दोनों बहनें शोरूम में गहने देख रहीं थीं . सिर्फ तीन लाख का …… मैंने सोचा महँगा होगा ……. यानि ये कितना सस्ता है …… राज बब्बर और राशिद मसूद की थाली जैसा ……सिर्फ़ तीन लाख का ……. मुझे लगा इंडिया भारत को मुह चिढा रहा है ……. मेरे गाँव से वो जगह सिर्फ सौ किलोमीटर दूर है जहां उस दिन वो गरीब भूखे बच्चे midday meal खा के मर गए . दुःख इस बात का नहीं की मर गए ……बल्कि इस बात का है की सौ किलोमीटर दूर पटना के PMCH अस्पताल पहुंचाने में बिहार सरकार को बारह घंटे लग गए ……क्योंकि उस प्राइवेट मिनी बस का डीज़ल रास्ते में ख़तम हो गया था …… जो खिचडी उन बच्चों को दी जाती है , इंडिया के बहुत से लोग अपने कुत्तों को उसे खिलाने का रिस्क नहीं लेंगे . इंडिया का योजना आयोग कहता है की जो एक दिन में 27 रु की भारी भरकम रकम खर्च करे वो गरीब नहीं . गरीब नही तो क्या नाम दें , पता नहीं . पर जिसे तीन लाख का गहना सस्ता लगे उसे किस नाम से बुलाना चाहिए .

                                                           1985 में कहा था राजीव गाँधी ने , एक रु में से 15 पैसे पहुँचते हैं भारत . बाकी इंडिया वाले खा जाते हैं . इस बार मैंने इंडिया को वो 85 पैसे खाते देखा . नरेगा मनरेगा …… अब सात साल की  हो गयी हैं दोनों बहनें . अब तो इनकी समीक्षा हो जानी चाहिए .लगभग  तीन लाख करोड़ खर्च हो गया इन पे . 7  साल और तीन लाख करोड़ बाद कितना बदला भारत ? बाकि देश का मैं जानता नहीं पर UP में तो पिछले दस साल में हालात और बिगड़े हैं …… सडकें टूट गयी हैं …… इंडस्ट्री ख़तम हो गयी …. अस्पताल जस के तस है ….स्कूल  भी जस के तस … अलबत्ता लखनऊ में अम्बेडकर पार्क बन गया है जहां पत्थर की मूर्तिया लगी है मायावती की और उनके हाथी की …… मायावती की मूर्ती gucci का हैंडबैग हाथ में लिए है जिसकी कीमत कहते हैं सवा लाख होती है . इस पार्क से कितना रोज़गार मिला हम UP वालों को ….पता नहीं . मेरे गाँव में एक भी आदमी ऐसा नहीं जिसकी आमदनी गाँव में बढ़ी हो . हाँ एक मित्र हैं जो कुछ साल पहले तक स्वरोजगार रत थे , उनकी नियुक्ति नरेगा में contract basis पे हो गयी है , एक supervisory staff के रूप में , इस बार पता चला की वो लाख रु महीना तक बना लेते हैं . 5 -7  ग्राम सभा हैं उनके चार्ज में . अब उनकी बीबी को तो तीन लाख का गहना सस्ता ही लगेगा . अब उनकी बीवी भी gucci का पर्स ले कर चलेगी . बजट में हर साल लाखो करोड़ रु भारत के लिए देता है इंडिया , जिसमे से बकौल राजीव गाँधी 85 % खुद इंडिया वाले ही खा जाते हैं ……… फिर ऊपर से मुह चिढाते है ….साले .... 27  रु रोज़ खर्च के भी गरीब बने रहना चाहता है . साले का BPL कार्ड फाड़ के फेंको .
   
                                                        75000 करोड़ की  योजना है food security bill . 85 % यानि 64000 करोड़ और आ रहा है . इंडिया वालों ……. तैयार हो जाओ ....GET READY FOR THE PARTY ……तनिष्क को अपना प्रोडक्शन बढ़ाना चाहिए













प्रभु ……… छोड़ किरकिट गरीबों की सेवा कर लो

                                      दुनिया के सबसे अहसान फरामोश लोगों की , कौम की , जब पहचान होगी , जब नमक हराम लोगों के I Card बनेंगे तो हम हिन्दुस्तानियों का नंबर सबसे पहले आयेगा . ज़रा कल्पना कीजिये .....Jesus Christ चले जाएँ वहाँ इटली में , और कहें की भैया मुझे एक फ्लैट दे दो और लोग कहें … भक्क्क्क साले ……flat  क्या पेड़ पे लगते हैं . सोच के देखो …मुहम्मद साहब जायें पकिस्तान और कहें …भैया ……. एक प्लेट सालन देना और लोग कहें ……. चलो मियाँ , आगे चलो ……… अगली दुकान पे ……पर साले हम हिन्दुस्तानी  किसी काम के नहीं .…….  मुंबई अंडर 14 की क्या औकात होती है . क्या वैल्यू क्या है अंडर 14 की ? पर भाई लोगों ने मना कर दिया . कान पक गए हमारे , ये सुन सुन के …… की भगवान् हैं ……… किरकिट के भगवान् हैं ……… भगवान् आउट हो गए , भगवान् ने छक्का मार दिया . भगवान् के कुहनी पिरा रही है ……… भगवान् की बीवी दो साल बड़ी है … आज भगवान् ने बाल कटवाए ………… भगवान् bradman से बड़े हैं …… नहीं छोटे हैं …… या बराबर हैं ……… और उसी भगवान् के लौंडे का जब नंबर आया , तो भाई लोगों ने कह दिया ……भाक साले ……. चले आते हैं ……अबे बाप का माल है ? अर्जुन तेंदुलकर सन ऑफ़ सचिन तेंदुलकर निवासी मुंबई को मुंबई अंडर 14 में जगह नहीं मिली . भाई लोगों ने पिछवाड़े मारी लात और भगा दिया .

                                                         तब से अपसेट हैं बहुत ,प्रभु .……  मोहभंग हो गया . यही सिला दिया तूने मेरे प्यार का ?????? मेरे देश प्रेम का , मेरी कुर्बानियों का . उस दिन बुखार था 102 ….फ़िर भी फील्डिंग की . कुहनी पिरा रही थी ……. फिर भी dive मारी …… catch छूट गया , वो अलग बात है …… मैं तो कहती हूँ अब भी चलो ……इनके  मुह पे संन्यास मारो , और चलो … कहीं बंगलादेश , केन्या , मालदीव्स में सेटल हो जाते हैं  ……. प्रभु ने कोई जवाब नहीं दिया ……… बताओ हमारा अर्जुन क्या राहुल महाजन से भी खराब है …उसे भी टिकट दे दिया था मुंबई से .....BJP ने . एक से एक निकम्मे पड़े हैं देश में . अकलेस यादव हैं , मुई कानीमोई है , अबे कर्नानिधि का तो पूरा खानदान है …… और वो देखो , सिंधिया , पायलट , सिंघल , जिंदल , जवाहर लाल , नटवर लाल , देवी लाल , बंसी लाल  ……. सबके लाल तो कमा के लाल हैं . साले राहुल गांधी को परधान मंतरी बना देंगे ……और यहाँ …… साला एक सीट …… वो भी अंडर 14 ……वो नहीं दी गयी इनसे ……… इस से अच्छा तो ललुआ से कहते तो वो दिलवा देता . अपने लड़के का एक फोन से डलवा दिया था नाम , दिल्ली में …… सुनो जी …… दिल छोटा मत करो ……. अभी बहुत चांस है ……अंडर 19 ट्राई करेंगे ……. नहीं , अब सोच लिया है ……अब ये किरकिट का चूतियापा बिलकुल नहीं करना है . अब साले को … हम भी फुल टाइम राजनीति करेंगे ……… बुलाओ साले को …… प्रेस कांफ्रेंस …… किरकिट से संन्यास ……अब गरीबों के लिए काम करेंगे …… देखना साले को …… सब पार्टियां तेल लगाएंगी ……… लोक सभा , राज्य सभा …… या सभा वा सभा ……हम भी , तुम भी , भैया भी भौजी भी ……. साले को …… पूरा खानदान सात पुश्त सेवा करेंगे , गरीबों की ……देखना इसी अर्जुन को इसी मुंबई से लोक सभा न लडवाया तो ………मुलायम सिंग से भी बड़ा खानदान बनाउंगा देश सेवा में …….








Friday, July 26, 2013

midday meal का सच

                                                पुरानी बात है । नसीर और शबाना की एक फिल्म " पार " किसी विदेशी फेस्टिवल में दिखाई जा रही थी . सूअर चराने वाले मुसहरों पे बनी है वो फिल्म . उसमे एक दृश्य है जहां शबाना को किसी ज़मींदार के घर से खाना मिल जाता है और वो सबकी नज़रें बचा के दो रोटियाँ अपनी साड़ी में छुपा लेती है ( अपने पति और बच्चों के लिए ). JURY की एक महिला को ये दृश्य समझ नहीं आया और फिर उन्होंने बाद में शबाना आजमी से इसके बारे में पूछा . और शबाना ने उन्हें खोल के समझाया , भारत के ग्रामीण समाज और उसके आखिरी छोर पे बैठे लोगों के बारे में . वहाँ यूरोप में बैठ के भारत को समझा जा सकता है क्या ?
                                                छपरा  में 23 बच्चे midday meal tragedy में  मारे गये.  मीडिया में काफी विलाप और प्रलाप हुआ . सुशासन बाबु और उनकी पार्टी ने साफ़  कह दिया की पोलिटिकल साज़िश हुई है …… प्रिंसिपल अहिरिन है ….उसका पति अहीर है …लालू भी अहीर है . प्रिंसिपल के पति की दूकान से सामान आया था . ज़हर गलती से नहीं मिला . जान बूझ के मिलाया गया . मतलब साफ़ है ….ललुआ ने मिलवा दिया . हमारी कोई गलती नहीं . हमारे गोड़ में घाव लगा है . हम नहीं जाते किसी से मिलने . ये तो था JDU का आधिकारिक राजनैतिक स्टैंड . जब से ये घटना हुई मीडिया भी सक्रिय है . रोज़ दिखा रहा है . चावल में कीड़े है . एक चैनल तो सारा दिन ये दिखाता रहा की एक स्कूल में रोटी पे एक मक्खी बैठी थी . उसी को हाईलाइट कर रहे थे बार बार.

                                                  दिल्ली में बैठ के भारत को नहीं समझा जा सकता . न वहाँ बैठ के भारत की किसी समस्या को सुलझाया जा सकता है . सुनते हैं की जब गाँधी South Africa से वापस आये तो गोखले ने उन्हें सलाह दी की बेटा … वकील बैरिस्टर बहुत हैं देश में …… वकालत छोडो  ज़रा भारत देख के आओ ……. और गाँधी साल भर देश घूमते रहे ……. और इस भारत भ्रमण ने उन्हें गांधी बना दिया . दिल्ली बम्बई में ये जितने टीवी वाले पत्रकार और चैनल मालिक बैठे हैं इन्हें पीट पीट के दिल्ली से भगा देना चाहिए …ज़ाओ सालों पहले हिन्दुस्तान देख के आओ , समझ के आओ .

                                                  देखो भैया , हिन्दुस्तान दरअसल एक बहुत विशाल झोपड़ पट्टी है . जहां लोग किसी तरह बस अपनी immunity और जीवन शक्ति के बल पे जीवित है . nutrition और hygene अभी तक हिन्दुस्तान के agenda में नहीं आया है . यहाँ तो सिर्फ survival की जद्दो जहद है . अलबता इंडिया आगे निकल चुका है . वहाँ तो बड़े बड़े मॉल हैं . चकाचौंध है .  Mcdonald का बर्गर है ,KFC का  चिकन है और Barista की कॉफ़ी है …… जहां पढ़े लिखे लोग सर पे  टोपा पहन के खाना बनाते हैं की कहीं जहाँपनाह की थाली में कोई बाल न गिर जाए  . Arnab Goswami की बीवी easyday से लालकिला ब्रांड बासमती ले कर आती है …… हर महीने दो किलो. उसमे कीड़े नहीं होते .पर गाँव में तो भैया हंडे में चावल रखते हैं कुटवा के …और साल भर का गेहूं …बोरियों में …… उन में कीड़े पड़ जाना आम बात होती है . जो गेहूं में पड़ता है उसे घुन कहते हैं और जो चावल में पड़ता है उसे सुरसुरी  . उन्हें माँ सूप से साफ़ कर लेती है . फिर धो के बना लेती है . गेहूं को धो कर पिसवा लेते हैं . एकदम साफ़ सुथरा , शुद्ध .  गेहूं चावल में कीड़े होना भारत में issue नहीं है . और hygene भी नहीं . भारत को मक्खियों से कोई परहेज नहीं . कहीं भी थूक देना , हग मूत देना , कूड़ा फेंक देना …… चलता है …… हिन्दुस्तान दरअसल एक बहुत बड़ा कूड़े का ढेर है . जहां नालियां बजबजा रही हैं और मक्खियाँ भिनक रही हैं ……. पूरा  मुल्क गंगा जी  में हग मूत रहा है . पूरे शहर का सीवर एकदम अपने मूल स्वरुप में गंगा में बहाया जा रहा है …और फिर उसी गंगा को पूजा जा  रहा है …पूरे श्रद्धा भाव से  चरणामृत ले रहे है लोग … हाँ ….  श्रद्धा में कोई कमी नहीं .बेचारे हिन्दुस्तान को पता ही नहीं है की हो क्या रहा है ? और जिन्हें पता है वो , यानि की मीडिया LAKME FASHION WEEK कवर कर रहा है ……. इग्लैंड के रानी को  बच्चा होने वाला है . हिन्दुस्तान सोहर गा रहा है …. यहाँ अपने 23 मर गए  .

                                       छपरा में हुआ यूँ की स्कूल में दो कुक हैं . अनपढ़ औरतें . ( वैसे तो प्रिंसिपल समेत पूरा स्टाफ ही अनपढ़ है ) . कुक गयी दुकान से राशन लेने . खाली शीशी जिसमे सरसों का तेल लाई वो कीट नाशक की  थी . दुकानदार को फुरसत नहीं  ये सब देखने की .cook ने स्कूल में आ के खाना बनाना शुरू किया . तेल गरम हुआ तो काला पड़ गया . कुक प्रिंसिपल के पास गयी . अनपढ़ प्रिंसिपल बोली बना डालो . कुछ नहीं होगा . उसने बना दिया . सब्जी कसैली थी . लड़के बोले खराब है . अनपढ़ प्रिंसिपल बोली खा लो . कुछ नहीं होगा . बच्चों ने खा ली . बाकी इतिहास में दर्ज है .

                                               ये पूरी समस्या EDUCATION की है . और करप्शन की . शिक्षित समाज में ऐसी दुर्घटनाओं की गुंजाइश कम रहती है . अगर वो प्रिंसिपल और वो दोनों cooks शिक्षित होते तो कुछ नहीं होता . पहले वो औरत उस बोतल में तेल न लाती . तेल जब काला पड़  गया तब चेत जाती . सब्जी कसैली बनी तब चेत जाती . अब सरकार चेत गयी है . कहती है trained cooks की नियुक्ति करेगी क़ौन सी यूनिवर्सिटी में कुक पढ़ते हैं …पता नहीं ……. बहरहाल पूरे देश से midday meal की बदहाली की खबरें आ रही हैं . गुरु जी लोगों के सिर के ऊपर लाद दी गयी है योजना . आज गुरु जी लोगों ने हड़ताल कर दी बिहार में . कहते हैं या तो पढ़वा लो या खिचड़ी बनवा लो . गुरु जी लोग कहते हैं की माल खाता है गाँव प्रधान , शिक्षा विभाग के अफसर , और नेताजी लोग और जूते खाएं हम ? ये नहीं चलेगा . ऊपर से नीचे तक लोग midday meal की मलाई खा रहे हैं ……. हर स्कूल लाख रु से ज़्यादा देता है हर महीने . दो तीन सौ बच्चे रजिस्टर में होते हैं . हाज़िर बमुश्किल 50  . दो सौ बच्चों का साढ़े छः रु रोज़ के हिसाब से साल भर का जोड़ लीजिये . दुधारू गाय है midday meal . भाई लोग दुह रहे हैं . बिहार सरकार के पास खा पी के भी 650 करोड़ बच गया था सो वापस कर दिया सोनिया गाँधी को ……

                                                  बहरहाल इंग्लॅण्ड की महारानी को लड़का हुआ है …… हिन्दुस्तान वालों …मुबारक हो …














                                               
                                             

Tuesday, July 9, 2013

मीडिया ........भेड़ियों का समूह

                                                               दस एक साल पुरानी बात है . उत्तर प्रदेश में बलिया जिले के एक गाँव का एक  लड़का हुआ करता था .नाम था सौरभ सिंह .कोटा में रह के IIT की तैयारी करता था. यूँ UP बिहार में लड़के बड़ी संख्या में इस तरह बाहर जा कर " कम्पटीसन " की तैयारी किया करते हैं .और कई बड़े शहरों में इस प्रकार की  ढेरों दुकानें और अड्डे खुल गए हैं .पुराने ज़माने में IAS की तैयारी का सबसे मशहूर अड्डा इलाहाबाद हुआ करता था .इन लड़कों में अधिकाँश अपने पैदाइशी चूतिया बाप को और चूतिया बना कर उस बेचारे के पैसे से दो चार साल ऐश करते थे फिर चुपचाप घर बैठ जाते थे. पुराने जमाने में तो ऐसे लौंडे बढ़िया मार्केटिंग कर के मोटा दहेज़ देने वाला ससुर भी खोज लेते थे .पर अब ससुरे सयाने हो गए हैं इसलिए वो धंदा तो बंद हो गया है .पिछले दस पंद्रह साल से ये IIT और PMT की दुकानें भी खुल गयी हैं .आज का हमारा हीरो सौरभ सिंह बहुत मेधावी लड़का था सो बाप ने उसे कोटा भेज दिया . वहाँ लड़के ने वाकई बड़ी मेहनत की . और एक दिन घर  लौटा तो उसने बताया की उसने नासा (NASA ) का एक बहुत बीहड़ किस्म का exam पास कर लिया है . ऐसा एग्जाम जिसमे अपने राष्ट्रपति APJ ABDUL KALAAM  तक फेल हो गए थे . सिर्फ कल्पना चावला पास हुई थी . गरीब अनपढ़ बाप बेचारा .....फूला नहीं समाया .....छाती चौड़ी हो गयी ................ कुर्ते के बटन टूट गए ...........रातों रात बात पूरे गाँव में आग की तरह फ़ैल गयी . वैसे ऐसी बातें जानबूझ कर भी फैलाई जाती हैं ..........इस से matrimonial circuit में कैंडिडेट का रेट और रेटिंग बढ़ती है . गाँव के ही किसी उत्साही व्यक्ति ने ये खबर स्थानीय अखबार में छपवा दी . मुझे याद है .....पहली बार दैनिक जागरण के बलिया वाले पेज पर एक कालम 5 सेंटीमीटर की खबर रही होगी ............... फिर धीरे धीरे बात बढ़ने लगी ....अखबार लिखने लगे .....इंटरव्यू छपने लगे .....अभिनन्दन समारोह होने लगे ...............बागी बलिया को चंद्रशेखर के बाद नया हीरो मिल गया था . और देखते ही देखते इसने सुनामी का रूप ले लिया . उत्तर प्रदेश की विधान सभा में लड़के का अभिनन्दन हुआ . सभी विधायकों ने अपना एक दिन का वेतन लड़के को देने का प्रस्ताव किया . स्थानीय विधायक और सांसद ने अपनी विकास निधि से लाखों रु दे डाले . ये उत्सव लगभग महीना भर चलता रहा . लड़के ने एक स्थानीय अंग्रेजी स्कूल से दसवीं की थी .उसकी मालकिन ने बयान दिया ...........मेरे तो बेटे जैसा है . मैं तो पहले दिन से ही जानती थी की आगे चल के गुल खिलायेगा.  हालांकि लौंडे ने दसवीं में सिर्फ 62 % नंबर लिए थे और बारहवीं में सिर्फ 54 % ..........फिर भी .....कुछ फूल देर से खिलते  हैं .......
                                 सो मैडम जी ने भी सोचा की चलो बहती गंगा में हाथ धो लिया जाए . उन्होंने उठा के राष्ट्रपति जी को लिख दिया की देख लो हमारे गाँव में कितना होनहार लड़का है ........अब आप  हमको president house बुलवा लो ...........अपने कलाम साहब ठहरे सीधे साधे शरीफ आदमी ........उन्होंने भी खट्ट से जवाब दिया .........आ जाओ ............लो भैया .....फिर मचा बवाल ....अखबारों में और TV पे .......नए सिरे से ........कैफियत एक्सप्रेस में सौरभ सिंह और मैडम जी का " रेजुबेसन " हुआ AC 2 टियर में .........बाकायदे जलूस  निकाल के बलिया वाले  सौरभ सिंह को आजमगढ़ तक चढ़ा के आये .........वहाँ दिल्ली पहुंचे तो स्टेशन पे भीड़ थी पत्रकारों की .......कौन कहाँ कैसे ....कौन सा एग्जाम ....किसने कराया .......कहाँ पेपर हुआ था ......कितने नंबर आये थे .......राष्ट्रपति जी कब फेल हुए ...........कल्पना चावला कैसे पास हो गयी .........मची चिहाड़ .........और एक दिन में ही इन नामुराद मीडिया वालो ने भांडा फोड़ दिया .........सब फर्जी है .....जिस दिन PRESIDENT HOUSE में जाना था उसी दिन सुबह अखबारों में छप गया ....सब फर्जी है .........अपने कलाम साहब वाकई शरीफ आदमी थे .......... इतना सब होने के बाद भी उनकी महानता देखिये की वो सौरभ  सिंह और मैडम जी से मिले ......लड़के को जीवन में मेहनत करने की सलाह दी , मैडम जी को भी लेक्चर  पिलाया ..........ठीक से बच्चों को पढ़ाया करो ......और उन्हें चाय समोसा खिला के भेजा .........
                                                                                  बाहर निकले तो भेड़ियों का गैंग खड़ा  था .....नोचने के लिए .......मैडम जी किसी तरह जान बचा कर भागी ......सौरभ सिंह जिस कैफियत एक्सप्रेस में AC में सो के गए थे उसी कैफियत के जनरल कम्पार्टमेंट में बोरे की तरह ठूंस कर वापस आये ..........अगले दो दिन तक थोड़ा बहुत विलाप हुआ अखबारों में , फिर मामला एकदम गधे के सींग की तरह गायब हो गया.
                                                               इस पूरे मामले में मैंने ये देखा की सौरभ सिंह की कोई गलती नहीं थी . उस बेचारे ने तो कोटा में अपनी असफलता छुपाने के लिए बाप से झूठ बोला था .मीडिया ने अपनी दूकान चमकाने के लिए बिना कोई जांच पड़ताल किये दनादन छापना दिखाना शुरू कर दिया. पहले एक फर्जी स्टार पैदा किया ........फिर उसे गली गली नचाते फिरे . हफ़्तों तमाशा देखा . फिर खुद ही पोल खोल दी ........फिर उसी गली में कुछ दिन नंगा कर के घुमाया . फिर एक नए स्टार की खोज में निकल पड़े .
                                                      उत्तराखंड में इन्होने मोदी के साथ भी यही किया .पहले  ना जाने कहाँ से पंद्रह हज़ार की फिगर ले आये . हीरो बनाया .फिर खुद ही सवाल उठाने शुरू कर दिए . और  बात RAMBO , DUMBO और SCAMBO तक पहुंचा दी .देश का  मीडिया हमें बेवक़ूफ़ बना कर , जानबूझ कर बेकार के मुद्दों में उलझा कर अपनी दूकान चला  रहा  है .
                                                           











. राणा प्रताप का गधा

                                                          एक बालटी खौलते पानी के साथ अगर बर्फ का एक क्यूब रख दिया जाए तो वो खौलता पानी उसे पिघला देगा और अगर बर्फ की सिल्ली के बगल में एक कप चाय रख दी जाए तो वो बर्फ की सिल्ली उस चाय को ठंडा कर जमा देगी .इस साधारण सी बात को समझने के लिए किसी राकेट साइंस या  nuclear physics  में पीएचडी होना ज़रूरी नहीं है . अलबत्ता यदि किसी साइंस दां से यह कह दिया जाए कि  सिद्ध करो कि यह गधा दरअसल एक अरबी घोड़ा है तो उसके लिए बड़ा मुश्किल काम  होगा . हाँ यही काम कोई मीडिया हाउस , राजनेता या कॉर्पोरेट हाउस आसानी से चुटकियों में कर सकते हैं .
                                                        अब अपने दिग्गी राजा को ही ले लीजिये . पिछले तीस चालीस साल से राजनीती में हैं . दस साल तक मध्य प्रदेश जैसे विशाल और जटिल राज्य के मुख्यमंत्री रहे .सारी दुनिया जानती है की पिछले दस साल से ,जब से मध्य परदेश का चुनाव हारे हैं , अपनी  सभी राजनैतिक कारगुजारियों से स्व घोषित संन्यास ले कर अपने राहुल बाबा को पढ़ा लिखा रहे हैं . अपने उल जुलूल बयानों को ले कर हमेशा चर्चा में बने रहते हैं . अब देखिये , ये कोई छिपी हुई बात तो है नहीं की अपने युवराज एकदम बकलोल हैं . भारत देश जो कि अपने को विश्व भर का महा गुरु कहते नहीं अघाता ....जहां इतना wisdom है ...... पूरा मुल्क मानता है कि युवराज बकलोल हैं . तरह तरह के नाम दे दिए हैं लोगों ने ....कोई पप्पू कहता है तो कोई dumbo ......... हालांकि उन्हें दिग्गी राजा जैसे घाघ आदमी की संगति  में अब  तक बहुत कुछ सीख लेना चाहिए था. पर वो तो कुछ सीख नहीं पाए उलटे अपने दिग्गी राजा उनकी संगति में रह के एक नंबर के बकलोल आदमी हो गए हैं .......... इसमें मुझे nuclear physics का उपर्वर्णित सिद्धांत कार्य करता दीखता है. अर्थात  राहुल गांधी का चुतियापा , हिमालय के समान इतना विशाल था की उनकी संगति  में रह के दिग्गी राजा की बुद्धि और समझदारी घास चरने चली  गयी और वो भी राहुल बाबा की तरह पप्पू हो गए ............अन्यथा कोई समझदार आदमी तो इस तरह का बयान नहीं ही दे सकता की बोधगया के धमाकों में मोदी का हाथ हो सकता है. 
                                                                               वैसे इसमें एक अन्य कारण भी हो सकता है . दिग्गी राजा और अन्य कांग्रेसी नेताओं के नाज़ुक कन्धों पे ये महती जिम्मेदारी है की किसी तरह इस गधे को घोड़ा सिद्ध करो. अब देखो भैया जिन लोगों ने घोड़े दौडाए हैं और गधे चराए है वो सब जानते समझते हैं . पर अँधेरे में भ्रम तो पैदा कर ही सकते हैं . इसलिए गधे को हमेशा रात में बहार निकालो. उसे सबके सामने बोलने ( रेंकने ) मत दो . उसे घोड़ो के साथ मत दौड़ाओ. धोबियों से कह दो उसपे कपड़ों का गट्ठर न लादें .उसे हमेश टेबल पे खडा करो जिससे की वो ऊंचा दिखे. गधे से कह दो की वो ज़मीन पे लोटना बंद कर दे. बड़े घरों के रईस दूल्हों की शादियों में वो बरात में जाए और सब लोग उसके आगे डांस करें .इस प्रकार नाना विधि प्रयास कर गधे को घोड़ा बनाया जा सकता है . कुछ अन्य तरीके भी आजमाए जा सकते है .यथा एक रेस कराई जाए जिसमे सभी घोड़ों से कह दिया जाए की वो गधे से पीछे रहें .अखबारों में गधे का फोटू घोड़े जैसा छपे (फोटो शॉप ) .बरखा दत्त और राजदीप बड़े बड़े एक्सपर्ट्स को अपने चैनल पे बुला के ये सिद्ध कर दें की ये (गधा) ही असली घोडा है और जो ये घोड़े बने घूम रहे हैं वो दरअसल ऊँट की एक प्रजाति हैं . animal husbandry वाले डिपार्टमेंट में घोड़े और गधे की specifications भी बदली जा सकती हैं .या सीधे सीधे घोड़े की फाइल ही गायब करा दी जाए . स्कूल के पाठ्यक्रम में NCERT की नयी पुस्तक छपवा के उसमे लेख घोड़े पे लिखवाओ पर फोटो गधे का छाप दो .....जिससे नयी पीढी यही पढ़े समझे की घोडा इसी शक्लो सूरत और रंग ढंग का होता है . देश भर में महाराणा प्रताप की  नयी मूर्तियाँ बनवाओ जिसमे वो गधे पे सवार दो मन का भाला लिए, जीन बख्तर पहने अकबर से युद्ध कर रहे हैं . नयी कविता लिखवाओ श्याम नारायण पाण्डेय से ....राणा प्रताप के गदहे से , पड़ गया हवा का पाला था . 
                          कुछ अन्य उपाय भी हैं . गधे की समस्या ये है की गाँव में कुछ घोड़े भी हैं ...........यदि ये साले घोड़े न होते तो गधा मज़े से राग दरबारी सुनता और भीम पलासी गाता ....... और गाँव की  फसल चरता ठाठ से .........उसे कौन कहने वाला होता की अबे साले तू गधा है ........ सो कांग्रेस ने अपने गाँव से तो सभी घोड़ों को निष्कासित, निर्वासित और निलंबित कर दिया है .कांग्रेस में घोड़ों का प्रवेश वर्जित है .एक आध घोड़ा अगर कोई  छूटा छटका बचा है तो वो बेचारा कपड़ों का गट्ठर लादे निहुर के चलता है . पर कमबख्त बगल के गाँव में साला एक घोडा है अभी .काठियावाड़ी नस्ल का. कुलांचे भरता है . सरपट दौड़ता है तो दुनिया अश अश करती है . ज़रा सी एड़  लगते ही पिछले पावों पे खड़ा हो जाता है .उसके नथुनों से आग निकलती है .उसका क्या करें ? अगले साल जब मेला लगेगा तब गधे को उसके साथ दौड़ लगानी ही पड़ेगी ..........कुछ लोग सरकार को ये सलाह दे रहे हैं की सीबीआई जांच करवा के बंद करवा दो साले को. या सभी घोड़ो का sample ही फेल करवा दो . सभी घोड़ो का दौड़ने का लाइसेंस ही जब्त कर लो. अमेरिका और इंग्लॅण्ड से कहलवा दो की घोड़े परदूसन फैलाते हैं . गाँव में खबर फैला दो की बच के रहना भैया .........घोडा नहीं शेर है ....खा जाएगा .......
                                    दिग्गी राजा कब से हैरान परेशान हैं . हिनहिनाना सिखा रहे हैं .पर कमबख्त दो लाइन हिनहिनाता है फिर रेंकने लगता है ........भरी महफ़िल में जमीन पे लोटने लगता है ........इस चक्कर में दिग्गी राजा खुद हिनहिनाना भूल कर जब तब रेंकने लगते हैं 
                                                     
                                                               











Sunday, July 7, 2013

आप चूतिया हैं .............



                                                twitter पे एक श्री मान जी दिखे ......वाह ....क्या नाम रखा है उन्होंने .......आप चूतिया हैं ......मैंने उन्हें तुरंत फॉलो कर लिया ....बिना कुछ सोचे समझे .....चूंकी हिन्दुस्तान में शुरू से ही बड़े बड़े महापुरुष हुए हैं जिन्होंने जनता जनार्दन को बड़े बड़े उपदेश दिए ......तत्व ज्ञान दिया ......आत्मा परमात्मा से भेंट मुलाक़ात करवा दी ....... समाज सुधार किये .... समाज में विपरीत धारा में तैरे .....बड़े बड़े विद्रोही  भी हुए . पर समाज को एक नयी दिशा दे गए .......आज उन लोगों की गिनती महापुरुषों में होती है ......और जो लोग इन महापुरुषों के सानिध्य में रहे उनका भी जीवन सफल हो गया . इसलिए मैंने भी जिस क्षण इन्हें देखा twitter पे .......आप चूतिया हैं ....ये ब्रह्म वाक्य पढ़ कर ही मुझे यूँ लगा कि  मेरे ज्ञान चक्षु खुल गए ....यूँ फील हुआ मानो कोई दिव्य  ज्योति मेरे अन्दर प्रवेश कर गयी हो .......यूँ महसूस हुआ कि  जैसे मैं एकदम हल्का हो गया हूँ ...और हवा में दो फुट ऊपर उठ गया हूँ ........मेरे आसपास एक सुगंध सी फ़ैल गयी है ....मेरे अन्दर से एक प्रकाश फूट रहा है .........और  विश्व भर में फ़ैल रहा है ............सुनते है कि बुद्ध को भी वहाँ गया में यूँ ही बोध हुआ था किसी पेड़ के नीचे ....और उसी क्षण वो सिद्धार्थ से महात्मा बुद्ध बन गए और उस स्थान का नाम ही बोध गया पड़  गया ........
                                आप चूतिया हैं ........जिस दिन से ये गुरु मन्त्र मिला , मुझे लगा हाँ यार मैं तो वाकई चूतिया हूँ .........उस दिन अपने शहर बनारस को देखा .......मंद मंद फुहार पड़  रही थी .......सडकें टूटी हुई थीं .....चारों तरफ कीचड था ....सड़क के किनारे पड़े कूड़े के ढेर बजबजा रहे थे ......उनसे उठती दुर्गन्ध .......आ .....ह ......क्या अहसास था .....मुझे तुरंत अपना गुरु मन्त्र याद हो आया ......मैं चूतिया हूँ .......जो इस शहर में रह रहा हूँ .....शाम को टीवी पे अपने धरती पुत्र मुलायम सिंह जी फरमा  रहे थे ....क्या किया है मोदी ने ? कुछ नहीं किया ......हाँ नितीश कुमार ने थोडा बहुत कुछ काम किया है .....कुछ सडकें वडकें बनवा दी हैं .....कुछ law and order सुधार दिया .........तुरंत मुझे अपने गुरु जी का मन्त्र याद आया .......कि  मुलायम सिंह दरअसल हम UP वालों को बोल रहा है कि  .........आप चूतिया हैं ........मोदी के चक्कर में मत पड़ो  ....कुछ नहीं रखा चौबीस घंटे बिजली में ....अच्छी चौड़ी सड़कों में ......साफ़ सुथरे शहरों में .......12 % agriculture growth में ........यही पड़े रहो इस नर्क में .........इस कूड़े के ढेर में .......इन बजबजाती नालियों में ...... जहां बड़े शहरों में on an average बारह से सोलह घंटे बिजली आती है और गाँव में 6 घंटे ........यहीं गुजर बसर कर लो और हमें वोट देते रहो ......... जब मुलायम के राज में अमेठी ,राय बरेली ,इटावा और मैनपुरी में चौबीस घंटे बिजली आती है और बनारस शहर में बारह घंटे भी ठीक से नहीं आती तो दरसल मुलायम सिंह हम लोगों को ये मेसेज दे रहा होता है कि .......आप चूतिया हैं .......     जब नितीश कुमार ये कहता है की इशरत जहां हमारी बेटी थी ........या ये कि  मोदी साम्प्रदायिक है .........तो समझ लीजिये ,  वो ये कह रहा है कि  ऐ मुसलामानों ....आप चूतिया हैं .......
                                                                     और शाम को प्राइम टाइम में जब बरखा दत्त , राजदीप , अर्नब , दीपक चौरसिया और आशुतोष जैसे लोग बहस चलाते है और बेशर्मी से कांग्रेस को defend करते हैं तो दरअसल वो हम दर्शकों से ये कह रहे होते हैं की हे दर्शकों ....आप चूतिया हैं .......रेणुका चौधरी सी आप कोई भी सवाल पूछ लीजिये ....उनका एक ही  जवाब होता है .......आप चूतिया हैं ........आज के पंजाब केसरी अखबार के पहले पेज पर , जो कायदन मुखपृष्ठ होना चाहिए उसपे एक फुल पेज का विज्ञापन था .......फिर अन्दर से एक और मुखपृष्ठ निकला ........उसपे कुल जमा पंद्रह सेंटीमीटर 4 कालम खबर थी , बाकी सारा विज्ञापन था .......आखिरी के दो पेज पे नंगी फोटो और बॉलीवुड था और सोलह पेज कुल विज्ञापन था .........मैं फिर भी ढीठ आदमी ...मैंने सारा अखबार देखा .......कुल मिला के उसमे एक ही मेसेज था .........आप चूतिया हैं ........रुपया साठ के पार चला गया ....चिदम्बरम कहता है घबराने की कोई बात नहीं .........बात भी सही है .....हम तो चूतिया हैं ...और चूतिया लोगों को घबराना नहीं चाहिए .........सीबीआई ने बंसल को मुजरिम की जगह गवाह बना दिया चार सौ पेज की चार्ज शीट दाखिल की है ....... और उसमे आख़िरी लाइन में लिखा है की हे देशवासियों .....आप चूतिया हैं .......सलमान खान ने फिल्म बनायी ...ready , bodyguard , एक था टाइगर .......उनमे लास्ट में जहां the end लिखा आता है वहाँ लिखा था .........आप चूतिया हैं ........
                                                           इस गुरु मन्त्र से मुझे एक ज़बरदस्त फायदा हुआ है .......मुझे एक दिव्य दृष्टि मिल गयी है ....और अब जैसे ही कोई मुझे चूतिया बनाने की  कोशिश करता है , मुझे तुरंत पता चल जाता है ......और अगर आपने मेरी ये पोस्ट पूरी पढ़ ली तो अंत में मैं यही कहूंगा ...........आप चूतिया हैं .....