Tuesday, January 29, 2013

रवि शंकर जी के साथ .....स्टेज पे

                                      पिछले  दिनों प्रख्यात सितार वादक रवि शंकर जी नहीं रहे . भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक और मूर्धन्य कलाकार चला गया . अपनी इस जिंदगी में एक काम जो मैंने बहुत अच्छा किया , वो ये की शास्त्रीय संगीत सुना . और यूँ ही , ऐसा वैसा नहीं सुना . जम के सुना . दिन रात सुना . सुबह शाम सुना .खरीद के सुना . मांग के सुना . घूम घूम के सुना . जहां पहुँच सका महफिलों में , concerts में . private mehfils में सुना . इज्ज़त से सुना और चोरों की तरह घुस के सुना . कुर्सी पे बैठ के सुना , जमीन पे बैठ के सुना , रजाई ओढ़ के सुना और कई बार तो भरी महफ़िल में ( हरबल्लभ में ) कम्बल ओढ़ के सोते हुए सुना ...........वहाँ क़यामत के रोज़ जब अल्लाह मियाँ पूछेंगे कि   , ऐ बन्दे ........... आदमी बना के भेज था धरती पे क्या क्या किया .......कुछ कायदे का काम भी किया ? तो अपन बड़ी शान से , फक्र से . कालर ऊंचे कर के कहेंगे .....हाँ किया ना .........शास्त्रीय संगीत सुना ...........
                                       आज इतने साल बाद एक महफ़िल याद आती है .......जो मैं आपको सुना रहा हूँ रवि शंकर जी को एक श्रद्धांजलि के रूप में .............. 20 -22 साल पुरानी बात है ........उन दिनों दिल्ली में रहता था ......... शादी हुई थी या नहीं , ये याद नहीं .  मेरे दोस्त देवेन कालरा भी उन दिनों दिल्ली में ही हुआ करते थे  .........उन्ही के साथ concerts में जाते थे .........दिल्ली में mehfil कल्चर कुछ ख़ास था नहीं . सरकारी किस्म के कंसर्ट्स होते थे , auditoriums में . और उनमे ज्यादातर  वो लोग आते थे जिन्हें संगीत से कुछ लेना देना होता नहीं था . उन्हें बस pass मिल जाया करते थे और वो  celebrities को देखने सुनने autograp लेने भर आते थे . कुछ हमारे जैसे कीड़े होते थे जो वहीं गेट के पास मंडराते रहते और मौका देख के घुस जाते थे . और ऐसे concerts की खबर लगती थी अखबारों से . सो एक दिन पता लगा कि  रवि शंकर और उनकी बेटी अनुष्का आज बजा रहे हैं , खेल गाँव में . पहुँच गए हम दोनों पापी ......मैं और देवेन कालरा . वहाँ पता लगा कि  ये प्रोग्राम राजीव गाँधी फाउंडेशन करवा रहा है . और सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी भी तशरीफ़ लाई हुई हैं . सो उस दिन दिल्ली के सारे चाटुकार चमचे जुटे हुए थे . हॉल पैक .....house full ........ बहुत देर तक हम मंडराते रहे पर कोई जुगाड़ नहीं बना . पर थे हम दोनों भी सच्चे मुसलमान . सो हॉल के पिछवाड़े चले गए .वहाँ उस गेट से घुसे जिस से कलाकार लोग घुसते हैं और सीधे ग्रीन रूम में ........ वहाँ से चोरों की तरह स्टेज के गेट पे तक रहे थे . रवि शंकर जी का पूरा अमला सक्रिय था . आयोजकों की भीड़ भाड़  थी ............... खैर रवि शंकर जी और अनुष्का और उनकी पूरी टीम मंचासीन हुई .................साज मिलाये जाने लगे ............introduction वगैरा हुआ और रवि शंकर जी ने आलाप लेना शुरू किया .....उस दिन उन्होने बिहाग बजाय था ...........हॉल   में pin drop sielence ..........jam packed hall में सबकी निगाहें स्टेज पे ........ सबसे अगली सीट पे सोनिया और प्रियंका और दिल्ली की तमाम बड़ी हस्तियाँ ......... चप्पे चप्पे पे NSG ......... और तभी मैं और देवेन , हम दोनों धीरे से स्टेज पे चढ़ के वहीं रवि शंकर जी से कुछ फीट दूर ज़मीन पे ही बैठ गए .......... और बस यहीं पे गड़बड़ हो गयी ......साले हमारे जैसे और भी बहुत से कीड़े मकोड़े थे ......... वो भी सब , धीरे धीरे वहीं स्टेज पे ही आ के जम गए ...........कुल 20-25 हो गए ......हलचल देख के रवि शंकर जी का ध्यान उचटा ........ उन्होंने हमारी तरफ देखा पर बजाना जारी रखा .......... फिर एक आयोजक धीरे से स्टेज पे आया और हम लोगों को उठाने लगा ........और सारे पुराने पापी कुसमुसाने लगे .........कोई नहीं हिला , तो थोड देर में 2-3 गार्ड आ गए और उठाने  लगे ............. और रवि शंकर जी ने बजाना बंद कर दिया ........ और बोले ........हे ......रहने दो इन्हें .....बैठने दो .....सुनने दो .........यही तो मेरे असली चाहने वाले हैं .........और हॉल तालियों से बज उठा .........
                                          ता उम्र संगीत सुना ........हज़ारों बार सुना होगा .....राग बिहाग ........पर वो राग बिहाग याद रहेगा सारी  जिंदगी .......उस दिन रवि शंकर जी के साथ .....स्टेज पे
                                            आज नाम आँखों से रवि शंकर जो को श्रद्धांजलि ...................
































1 comment:

  1. ..सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति SONIA JI V PRIYANKA JI KO YAHAN KUCHH KAHNA GALAT PRATEET HO RAHA HAI AAPKI POST KE AANAND ME KAMI LA RAHA HAI. विवाहित स्त्री होना :दासी होने का परिचायक नहीं आप भी जाने इच्छा मृत्यु व् आत्महत्या :नियति व् मजबूरी

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