Saturday, March 12, 2011

बेटा ...माँ तो यहीं रहेगी ....इसी पुराने घर में .....

पंजाब के एक शहर में एक डॉक्टर साहब हैं ....शहर के जाने माने सर्जन हैं ....अपना खुद का अस्पताल चलाते हैं .....काफी सफल अस्पताल है .....पत्नी भी डॉक्टर है ......भरा पूरा परिवार है ......सुख शांति है ......पिता जी बचपन में ही गुजर गए थे ....तब जब वो बमुश्किल एक या दो साल के थे ......उनकी मां भरी जवानी में विधवा हो गयीं ......पर उन्होंने पुनर्विवाह करने से मना कर दिया ....एक ही बेटा था उसे पढ़ाया लिखाया ....डॉक्टर बनाया ...आज बेटा एक सफल डाक्टर है ...खूब पैसा कमाता है .......परिवार पहले पुराने शहर में पुश्तैनी मकान में रहता था ....तंग गलियों में पुराना सा मकान था ....डाक्टर साहब जब भी उस घर को ठीक ठाक कराने की बात करते तो माँ कहती ...इसको क्या ठीक कराना ...नया मकान बनायेंगे ......स्वाभाविक सी बात है .....डॉक्टर साहब को नया मकान तो बनाना ही था .....सो उन्होंने बनाया ......पुराने शहर से बाहर एक नयी कालोनी में उन्होंने महल जैसा घर बनाया .......गृह प्रवेश हुआ ...डाक्टर साहब ने शानदार पार्टी दी .सब लोग शामिल हुए .....सब कुछ ठीक ठाक था ...पर अगले दिन जब नए घर में शिफ्ट होने की बात आई तो मां ने बहू और बेटे से कहा ....बेटा तुम लोग जाओ ,मैं तो यहीं रहूंगी .....डाक्टर साहब भौचक्क.....अरे ये क्या हुआ ....मां क्यों नाराज़ हो गयी .....परेशान हो गए...पत्नी से पूछा कोई बात हुई है क्या .....पत्नी ने कहा नहीं कोई बात नहीं हुई ......डाक्टर साहब की पत्नी को मैं स्वयं जानता हूँ ...बहुत ही अच्छी ,सभ्य सुसंस्कृत महिला हैं .....एक आदर्श बहू....माँ का सचमुच बहुत ध्यान रखती हैं और उनसे अपनी माँ की तरह ही प्यार भी करती है .....अब दोनों पति पत्नी परेशान ....डरते डरते माँ से पूछा ....क्या बात हो गयी ....माँ बोली की बेटा कोई बात नहीं हुई ...कोई नाराजगी नहीं है ......कोई परेशानी भी नहीं है , पर मैं नए घर में नहीं जाउंगी .....तुम लोग आराम से वहां रहो ... मैं यही रहूंगी .....
बहू और बेटे ने बहुत मिन्नतें की ......हाथ पाँव जोड़े ....पर मां टस से मस नहीं हुई .जब बच्चों ने बहुत ज्यादा आग्रह किया .....कारण पूछा, तो बोली .......बेटा दो साल का था तू जब तेरे पिता जी मरे ....आज तीस साल हो गए उन्हें गए ....पर आज भी वो मुझे यहाँ दिखाई देते हैं .....मैं उन्हें यहाँ महसूस करती हूँ .....इस घर के एक एक कण में वो रचे बसे हुए हैं ......यहाँ मुझे लगता है कि मैं आज भी उनके साथ रहती हूँ ....तेरे उस नए घर में मुझे तेरा बाप नहीं दिखेगा बेटा ......इसलिए मुझे उन से अलग मत कर ...मुझे यहीं रहने दे .....बहू बेटा चुप हो गए ....उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं था .....कोई तर्क नहीं था ....
ये बात कोई 15 साल पुरानी है .....डाक्टर साहब उस नए वाले घर में रहते हैं .....माँ अब भी उसी पुराने घर में रहती है ....वो घर आज भी वैसा ही है जैसा पहले था .....डाक्टर साहब के लाख आग्रह के बावजूद माँ ने उसे renovate नहीं करने दिया .....वो उसे उतना ही maintain करते हैं की उसका पुराना स्वरुप बरकरार रहे .... आज की नयी पीढ़ी के बच्चों को शायद ये बात समझ में नहीं आयेगी । उन्हें ये माँ की हठ धर्मिता , जिद या पागलपन लग सकता है ....आज के युग में ,जब पाश्चात्य सभ्यता ने प्रेम की परिभाषाएं बदल दी हैं ....जहाँ रिश्ते पल भर में टूट जाते हैं .....प्रेम का ये 50 साल पुराना मॉडल दकियानूसी ...outdated लगता है .....
मुझे ये किस्सा खुद डॉक्टर साहब की पत्नी ने सुनाया था......उत्सुकता वश मैं माँ से मिलने उस पुराने घर गया .....मुझे ये देख कर बहुत आश्चर्य हुआ कि वो बूढी महिला आज भी कितनी खुश है ....उतनी ही खुश जितनी आज की कोई नव विवाहिता अपने पति के साथ होगी .......

2 comments:

  1. एक और गदर रचना. परंतु नयी पीढ़ी सिर्फ़ नुक्स निकले , ऐसा भी नहीं है
    नयी और पुरानी का अंतर बता पाना बहुत मुश्किल है, पर अगर मैं नयी पीढ़ी का हूँ, तो मैं काई ऐसे लोगों को जानता हूँ जो इस माडल को आज भी आउटडेटेड नहीं मानते

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  2. thanks tarun ji
    nai peedhi ko bhi sachhe prem ka ahsaas to hota hi hai ...kuchh ko jaldi kuchh ko der se ....manushya ko sachhe prem ka ahssas jeewan mein kabhi to ho hi jata hai

    dhanyawaad

    ajit

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